वर्तमान में प्रौद्योगिकी एक आशीर्वाद है या अभिशाप ?
प्रौद्योगिकी यदि सुखद सुविधाजनक सहयोगी उपयोगितापूर्ण हो तो आशिर्वाद है लेकिन
आश्रित बना कर हमें दुखद ,अति, भोगवादिता, शोषक और अनियंत्रित हो तो अभिशाप बन सकती है।
वर्तमान आर्थिक साम्राज्यवादी वैश्विक परिदृश्य में भौतिक सुख सुविधा पाने की होड़ सी मची हुई है प्राकृतिक संसाधनों के लगातार दोहन से प्रकृति अस्तित्व पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है। प्राकृतिक संसाधनों को हड़पने कब्जा करने के लिए अनेकों देशों में परस्पर युद्ध जारी है। परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकी विध्वंशक विनाशकारी साबित हो रही है।
दूसरी ओर सूचना विज्ञान प्रौद्योगिकी संचार माध्यम तकनीकी संपन्नता के चलते व्यक्ति का जीवन उपभोक्तावादी संस्कृति बाजारवाद भोगवाद के वशीभूत होकर अनुत्पादक अकर्मण्य श्रमविहीन हो गया है।
लोगों में आलस्य प्रमाद तनाव बढ़ता जा रहा है जिसके कारण लगातार मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।
युवा बच्चें महिलाएं सभी इस सुचना प्रोद्योगिकी इंटरनेट संजाल, मोबाइल ऐप मकड़जाल तकनीकी के चलते अवसाद ग्रस्त तनाव ग्रस्त होते जा रहे हैं मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। इस प्रतिकूल सूचना संचार प्रौद्योगिकी के दुष्परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य संबंधित घातक परिस्थितियां अभिशाप साबित हो रही है।
जबकि सूचना संचार प्रौद्योगिकी के विवेकशील उपयोग से ज्ञान संवर्धन तथा आध्यात्मिक उत्कर्ष की असीम संभावनाएं आज सहज रूप से उपलब्ध है।
सूचना प्रौद्योगिकी के ज्ञान विज्ञान को मनुष्य अपने जीवन में सर्वांगीण सकारात्मक प्रगति में उपयोग करके अपने लिए वरदान बना सकता है।
किंतु दुर्भाग्यवश प्रौद्योगिकी उपयोगिता के विषय में आज व्यक्ति केवल दोहन शोषण की जुगाड में लगा हुआ है। मनोरंजन,संकीर्ण मानसिकता, भोगवाद और विलासिता के दिखावे में उलझकर रह गया है।
यदि समय रहते समाज में व्याप्त सूचना प्रौद्योगिकी संचार प्रोद्योगिकी दुष्परिणाम के प्रति जागरुकता पैदा नही की गई तो लोगों में मानसिक रोग तेजी से फैलने लग जाएंगे इसके घातक दुष्परिणम बड़ते ही जाएंगे लोगों में संवेदनशील व्यवहार विवेकशील आचरण समाप्त होता चला जाएगा।
आज हर व्यक्ति को सूचना प्रौद्योगिकी उपयोगिता के विषय में गंभीर रूप से इसके दुष्परिणाम के प्रति सजग हो सम्यक उपयोग की समझ को अपनाना होगा। मोबाइल इंटरनेट की व्यसन रूपी लत को नियंत्रित करना होगा।अन्यथा स्व कुंठा अवसाद तनाव एवम परस्पर रिश्तों संबंधों में परिवार में टूटन अलगाव बिखराव बढ़ता ही चला जाएगा।
सूचना प्रौद्योगिकी उपयोगिता की समुचित समझ, पर्यावरण संरक्षण, मानवीय मूल्यों के रक्षण, वैश्विक समृद्धि की आध्यात्मिक शिक्षा देकर संयम योग संस्कृति समरसता सुनिश्चित करके ही मनुष्य के जीवन को वरदान बनाया जा सकता है।
🔸संपर्क🔸
डा सुरेंद्र सिंह विरहे
उप निदेशक
मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी संस्कृति परिषद् संस्कृति विभाग
शोध समन्वयक
(आध्यात्मिक नैतिक मूल्य शिक्षा शोध)
धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग मध्य प्रदेश शासन
* मनोदैहिक आरोग्य आध्यात्मिक स्वास्थ्य विषेशज्ञ एवं लाईफ कोच, स्प्रिचुअल योगा थेरेपिस्ट*
स्थापना सदस्य
मध्य प्रदेश मैंटल हैल्थ एलाइंस चोइथराम हॉस्पिटल नर्सिंग कॉलेज इंदौर
निदेशक
दिव्य जीवन समाधान उत्कर्ष
Divine Life Solutions Utkarsh
पूर्व अध्येता (जे आर एफ)
भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् दिल्ली
"Philosophy of Mind And Consciousness Studies"
Ex. Research Scholar
At: Indian Council of Philosophical Research ICPR Delhi
utkarshfrom1998@gmail.com
9826042177,
8989832149
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