Saturday, November 19, 2022

स्त्री के अस्तित्व पर अमानवीय कृत्य की शर्मनाक घटना बलात्कार

स्त्री के अस्तित्व पर अमानवीय कृत्य की शर्मनाक घटना बलात्कार भारत में भयावह रूप लेती जा रही है।

महिलाओं बच्चियों एवम युवतियों का मानसिक स्वास्थ्य बलात्कार की पीढ़ा सहन करने से पूरी तरह बिगड़ जाता है। 

यौन हिंसा का प्रभाव पूरी तरह से विनाशकारी हो सकता है, जो केवल शारीरिक आघात तक ही सीमित नहीं है बल्कि भावनात्मक संकट तक भी फैलता है। हमले से उत्पन्न भावनात्मक दर्द इतना कष्टदायी होता है कि यह पीड़ित को बेड़ियों में जकड़ देता है, जिससे वह चिंतित, भयभीत, लज्जित और यहां तक ​​कि फ्लैशबैक, कष्टप्रद यादों और बुरे सपने से भी पीड़ित हो जाती है।

अक्सर बलात्कार से बचे लोग मनोवैज्ञानिक निशान (सायकोलॉजिकल मार्क) झेलते हैं और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से लगातार निपटते हैं जिनमें अवसाद (डिप्रेशन), चिंता, अभिघातजन्य तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटीक स्ट्रेस डिसऑर्डर) (जिसे पीटीएसडी भी कहा जाता है), मादक द्रव्यों (नारकोटिक) के सेवन के वजह से विकार, शराब, नशीली दवाओं की लत, क्रोनिक फेटिग, सामाजिक वापसी, नींद विकार (स्लीपिंग डिसऑर्डर), एनोरेक्सिया बुलिमिया, और सीमा रेखा व्यक्तित्व विकार (बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर) शामिल हैं। 

समाज में लव जेहाद के लगातार बढ़ते मामलों चिंताजनक है । युवती किशोर अवस्था की बच्चियों की हत्या कर दी जाती है।यह सब षड्यंत्र के रूप में सामने आ रहे हैं।

इस तरह के यौन हमलों के कारण होने वाला आघात गंभीर होता है और इसके बाद अक्सर असहायता, अपराधबोध (गिल्ट), आत्म-दोष (सेल्फ ब्लेम) की भावनाएँ आती हैं। कई मामलों में पीड़ित घटी हुई घटना से इतने घबरा जाते हैं कि वे आईने से बचने लगते हैं।

आज हमारे समाज की सबसे दर्दनाक सच्चाई यह है कि पीड़ित को अपमानित किया जाता है और उसकी अवहेलना (डिसरिगार्ड) की जाती है और अक्सर उसे दोषी ठहराया जाता है। संरचित प्रणाली (स्ट्रक्चर्ड सिस्टम) हमेशा उत्तरजीवियों (सर्वाइवर्स) को मानसिक शांति प्रदान करने में विफल रहती है।

बलात्कार लव जेहाद के इन मामलों में सरकार को गंभीरता से लेते हुए कड़े कानून सजा का प्रावधान करना होगा अन्यथा समाज में अराजकता फैल जाएगी सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ जाने के खतरें है।

माता पिता अभिभावक अपने बच्चों को संस्कार देकर सदैव सतर्क व जागरूक करें एवम चारित्रिक विकास पारिवारिक जीवन में आपसी विश्वास परवरिश में कभी कोई कमी न रखें।

सनातन धर्म संस्कृति को युवा पीढ़ी आत्मसात कर अपने जीवन में अध्यात्म को अंगीकार करें।

योग ध्यान प्राणायाम के नियमित अभ्यास द्वारा बलात्कार पीड़ित को संवेदनात्मक भावात्मक रूप से उस दुखद घातक घटना से उबरने में मदद करें।लगातार संवाद करके आत्म विश्वास कायम कराने में सहानुभूति बनाए रखें।


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