Saturday, November 12, 2022

छोटी बुद्धि संकीर्ण मानसिकता से मुक्त होकर कुशाग्र दूरदर्शी बनें

छोटी बुद्धि  संकीर्ण मानसिकता से मुक्त होकर कुशाग्र दूरदर्शी बनें 

छोटी बुद्धि के लोग मतलब संकीर्ण सोच के लोग जो अत्यंत सीमित सोच विचार का दायरा रखते हैं जो तात्कालिक स्वार्थ सिद्ध करने में तत्पर रहते हैं उन्हें कल की या भविष्य के परिणाम से कोई मतलब नहीं होता है हमेशा जुगाड जमाने में तिकड़म भिड़ाने में खुराफात मचाने में लगे रहते हैं ऐसे लोग ही छोटी बुद्धि वाले लोग कहलाते हैं इस तरह के लोग प्रामाणिक नही हो सकते इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

जैसा कि स्पष्ट ही है संकीर्ण यानी संकुचित सोच विचार जिससे व्यक्ति का नजरिया भी सीमित हो जाता है । संकीर्ण मानसिकता भीरू दब्बू कुंठित अल्पज्ञ लोगों की होती है ऐसे लोग अत्यंत लोभी भ्रष्ट आचरण के बेईमान होते हैं। धोखा में रखना धोखा देना इनकी फितरत होती है। कभी भी किसी बड़े प्रयोजन अथवा व्यापक परिप्रेक्ष्य की योजना लक्ष्य संकीर्ण मानसिकता के चलते सफल नहीं हो पाते हैं।

छोटी बुद्धि संकीर्ण मानसिकता को दर्शाती है जिसमें किसी भी तरह के व्यवहार को नैतिक मूल्य की कसौटी पर नहीं परखा जा सकता है छोटी बुद्धि यानी अल्पज्ञ होना है।बुद्धि के विकास के लिए संपर्क करें बुद्धि कौशल को बढ़ावा देने हेतु योग आध्यात्म जीवन प्रबंधन ज्ञान को सीखें और अपनी मूल प्रतिभा को जानें।

जीवन में छोटी सोच और पैर की मोच की कहावत को चरितार्थ करने वाले सैकड़ों लोग हमे अपने आस पास मिल ही जाते हैं।

जिनके जीवन में लक्ष्य या भविष्य की कोई योजना  नहीं होती है ऐसे लोग हमेशा अल्प प्रयास से बड़ी सफ़लता पाने की जुगाड लगाने में प्रवृत्त रहते हैं इनकी सोच विचार की क्षमता अत्यंत सीमित होती है। 

आजकल की पूंजीवादी उपभोक्ता भोगवादी स्वार्थांध आपाधापी व्यवस्था में हर व्यक्ति संकीर्णता और नैतिक पतन की ओर अग्रसर होता चला जा रहा है आपसी विश्वास कम होता जा रहा है। परिणामस्वरूप आपसी रिश्तों में तनाव बढ़ता जा रहा है। लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है।जिसके कारण समाज में नकारात्मकता, भय, व्यसन, शराब खोरी,भ्रष्टाचार,दुराचार जैसी बुराइयां लगातार फैल रही है। 

खासकर नई पीढ़ी में नैतिक पतन ज्यादा देखने को मिल रहा है। जीवन संघर्ष करने में आज की युवा पीढ़ी कमजोर और निराश होती जा रही है।जिसके कारण उनमें पलायन और आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।

यदि हम समाज में तेजी से फैल रही उदासीनता संकीर्ण मानसिकता को नियंत्रित नहीं करेंगे तो भविष्य में इसके परिणाम और भी घातक हो सकते हैं। छोटी बुद्धि वाले अर्थात अल्पज्ञ अज्ञानी कम पड़े लिखें लोग आसानी से बुराइयों व अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं। 

समाज में व्याप्त उपरोक्त विसंगतियों को बढ़ावा ना मिले इसके लिए सकारात्मकता को बढ़ावा देना होगा और नैतिक मूल्यों के संरक्षण के प्रयास करने होंगे।

महापुरुषों के जीवन चरित्र, आदर्श महान व्यक्तित्व कृतित्व को नई शिक्षा व्यवस्था में सम्मिलित कर योग ध्यान आध्यात्म की ओर नई पीढ़ी को प्रेरित करना होगा।

आज के युवा छोटी बुद्धि  संकीर्ण मानसिकता से मुक्त होकर कुशाग्र दूरदर्शी बनें ऐसे विकल्प माध्यम प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने होंगे।

🔸संपर्क🔸

 डा सुरेंद्र सिंह विरहे

 मनोदैहिक आरोग्य आध्यात्मिक स्वास्थ्य विषेशज्ञ एवं लाईफ कोच, स्प्रिचुअल योगा थेरेपिस्ट

उप निदेशक

मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी संस्कृति परिषद् भोपाल

शोध समन्वयक

आध्यात्मिक नैतिक मूल्य शिक्षा शोध

धार्मिक न्यास धर्मस्व विभाग मध्य प्रदेश शासन

स्थापना सदस्य

मध्य प्रदेश मैंटल हैल्थ एलाइंस चोइथराम हॉस्पिटल नर्सिंग कॉलेज इंदौर


निदेशक

दिव्य जीवन समाधान उत्कर्ष

Divine Life Solutions Utkarsh


पूर्व अध्येता

भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् दिल्ली


"Philosophy of Mind And Consciousness Studies"


Ex. Research Scholar

At: Indian Council of Philosophical Research ICPR

Delhi


utkarshfrom1998@gmail.com


9826042177,

8989832149


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