Thursday, September 15, 2022

सम्पूर्ण जीवन काल, उसके कर्म, मनोस्थिति समग्र जीवन प्रबंधन निराकरण समस्या समाधान

 

(स्वास्थ्य पूंजी व आनंद सहित जीवन यापन जीविकोपार्जन समग्र जीवन प्रबंधन निराकरण समस्या समाधान अनुसंधान संस्थान)

विज्ञान मनुष्य के मन, उसके प्रारब्ध और संस्कारों के आधार पर चिकित्सा करता है | सामान्य तह हम जीवन को सिर्फ शारीरिक तल पर ही जानते है | और हमारा सारा केंद्र भी शरीर ही होता है जबकि हमारे जीवन की जडें बहुत गहरी होती है | 

मनुष्य के मन के भीतर उसकी पूर्व जन्मो की भी सारी जानकारी जमा होती है | और मनुष्य मन पर उसके पूर्व जन्म की मनोस्थिति का भी प्रभाव होता है | हम ये नहीं कह सकते की हमारा जीवन पूर्व जन्मो से प्रभावित नहीं होता |

वर्तमान जीवन में घटने वाली तमाम अच्छी बुरी घटनाएं पूर्व जन्म प्रारब्ध से प्रभावित होती है | आध्यात्मिक चिकित्सा व्यक्ति के मूल में जाकर उसके सम्पूर्ण जीवन काल, उसके कर्म, मनोस्थिति के आधार पर उसकी चिकित्सा करती है | आध्यात्मिक चिकित्सा कोई मनोवैज्ञानिक चिकित्सक नहीं कर सकता बल्कि जो व्यक्ति पूर्ण साधना के मार्ग पर चलकर आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो वही इंसान आध्यात्मिक चिकित्सा कर सकता है | 

बीमारी के लक्षण शरीर पर आते है लेकिन उसकी उत्पत्ति के स्त्रोत मन की गहराईयों के भीतर दबे होतें है । एक बीमारी का इलाज कराओ दूसरी आ जाती है । रोग रूप बदल लेता है । लेकिन रोग की जड़ से मुक्ति नहीं होती जब तक के रोग के मूल को मन मस्तिक के भीतर से साफ़ न किया जाए ।

हमारा मानव मन जीवन के उतार चढ़ाव अच्छे बुरे अनुभवों से मन के भीतर बहुत सारे रुग्ण भाव दबा लेता है जिसका संज्ञान इंसान को भी नहीं हो पाता । यही रुग्ण भाव मन के बहुत भीतर अपना कार्य करते रहते है जैसे -

- अनावश्यक भय,

- नुक्सान होने का संदेह, - दुर्घटना के विचार,

- दोस्तों व् अन्य व्यक्तियों के प्रति अविश्वास,

- जरुरत से अधिक मूर्ति पूजा, - तमाम छोटे मोटे टोटके करना, - हर विफलता को किस्मत से जोड़ देना,

- धन पर अतिनिर्भरता,

- हीनभावना से ग्रसित होना,

- वहुत ही ज्यादा गुस्सा करना,

- बहुत डरपोक होना,

- ऊँचाई, पानी अथवा पहाड़ खाई से बहुत ज्यादा डरना, - बोलने में अटकना, बड़बड़ाना, - बार बार बुरे (मृत्यु के) स्वप्न देखना,

- नींद का न आना, सामान्य से अधिक भोजन करना,

- पति/पत्नी के प्रति शारीरिक आकर्षण घटना, - बहुत ही ज्यादा भावनात्मक होना,

-किसी भी प्रकार के रोग से लंबे समय तक पीड़ित रहना,

- व्यापार में घाटा होने का भय बना रहना आदि जीवन के ऐसे लक्षण है जो आपके रुग्ण मन की दशा बताते है । व्यक्ति भागमभाग जिंदगी में सब सहता हुआ बस जिता चला जाता है । अतः मन का रोग शरीर पर उतर आता है । और जीवन रुग्ण हो जाता है । मेरा अनुभव है कि लगभग हर भीतरी रोग के पीछे मन की रुग्णता छिपी होती है जिसे आध्यात्मिक चिकित्सा द्वारा रोगमुक्त किया जा सकता है । यदि आप हमेशा आध्यात्मिक शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं..

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डा सुरेंद्र सिंह विरहे

मनोदेहिक आरोग्य आध्यात्मिक स्वास्थ्य विषेशज्ञ

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