Tuesday, August 6, 2024

प्रकृति के साथ तादात्म की सह अस्तित्व अनुभूति रूपांतरण साधना।

प्रकृति के साथ तादात्म: समृद्धि और परिवर्तन की कला

प्रकृति के साथ तादात्म की सह अस्तित्व अनुभूति रूपांतरण साधना।

जिंदगी में समाधान डिवाइन लाईफ सॉल्युशंस द्वारा असली समृद्धि वैभव यश कीर्ति ऐश्वर्य को पाने की कला जानिए।

सीखिए! मूल प्रकृति से सृष्टि सामंजस्य की उपलब्धि दिव्य अभ्युदय मनोकामना सिद्धि।

प्रकृति में स्थित पुरुष ही प्रकृतिजन्य गुणों का भोक्ता बनता है और गुणों का सङ्ग ही उसके ऊँच-नीच योनियों में जन्म लेने का कारण बनता है।

वास्तव में पुरुष प्रकृति(शरीर) में स्थित है ही नहीं। परन्तु जब वह प्रकृति(शरीर)के साथ तादात्म्य करके शरीर को मैं और मेरा मान लेता है? तब वह प्रकृति में स्थित कहा जाता है।

ऐसा प्रकृतिस्थ पुरुष ही (गुणों के द्वारा रचित अनुकूल प्रतिकूल परिस्थिति को सुखदायी दुःखदायी मानकर) अनुकूल परिस्थिति के आने पर सुखी होता है और प्रतिकूल परिस्थिति के आने पर दुःखी होता है।

यही पुरुष का प्रकृति जन्य गुणों का भोक्ता बनना है। जैसे मोटर दुर्घटना में मोटर और चालक -- दोनों का हाथ रहता है।

क्रिया के होने में तो केवल मोटर की ही प्रधानता रहती है? पर दुर्घटना का फल (दण्ड) मोटर से अपना सम्बन्ध जोड़नेवाले चालक(कर्ता) को ही भोगना पड़ता है।


ऐसे ही सांसारिक कार्यों को करने में प्रकृति और पुरुष -- दोनों का हाथ रहता है।


क्रियाओं के होने में तो केवल शरीर की ही प्रधानता रहती है? पर सुख दुःख रूप फल शरीर से अपना सम्बन्ध जोड़नेवाले पुरुष(कर्ता) को ही भोगना पड़ता है।

अगर वह शरीर के साथ अपना सम्बन्ध न जोड़े और सम्पूर्ण क्रियाओं को प्रकृति के द्वारा ही होती हुई माने (गीता 13। 29)? तो वह उन क्रियाओं का फल भोगने वाला नहीं बनेगा।

प्रकृति के साथ तादात्म की सह अस्तित्व अनुभूति रूपांतरण साधना - इस साधना के द्वारा व्यक्ति ब्रम्हाण्ड की ऊर्जा से सामंजस्य स्थापित करके जो भी अपने जीवन में सिद्धि समाधान या तत्काल परिणाम फल प्राप्त करना चाहते है, अपने अचेतन मन के द्वारा ब्रह्मांड में प्रार्थना भेजने का कार्य करते है, और फिर अभ्युदय रूप में मनवाँछित अभिलाषा वस्तु उन्हें प्राप्त हो जाती है।

यह साधना आपके जीवन में दिव्य अद्भुत चमत्कार करती है।

प्रकृति के साथ तादात्म की सह अस्तित्व अनुभूति रूपांतरण अनुभूति कराना ही इस विशेष साधना विधि का लक्ष्य है।

इसके माध्यम से कोई भी मनोकामना अथवा वस्तु की इच्छा करने मात्र से समस्त सृष्टि वह वस्तु मनुष्य को उपलब्धि रूप में दिलाने के लिए संलग्न हो जाती है।

जिन योनियों में सुख की बहुलता होती है? उनको सत्य योनि कहते हैं और जिन योनियों में दुःख की बहुलता होती है? उनको असत्य योनि कहते हैं।


पुरुष का सत् असत् योनियों में जन्म लेने का कारण गुणों का सङ्ग ही है।

सत्त्व? रज और तम -- ये तीनों गुण प्रकृति से उत्पन्न होते हैं। इन तीनों गुणों से ही सम्पूर्ण पदार्थों और क्रियाओं की उत्पत्ति होती है।

प्रकृतिस्थ पुरुष जब इन गुणों के साथ अपना सम्बन्ध मान लेता है? तब ये उसके ऊँच नीच योनियों में जन्म लेने का कारण बन जाते हैं।


प्रकृति में स्थित होने से ही पुरुष प्रकृतिजन्य गुणों का भोक्ता बनता है और यह गुणों का सङ्ग? आसक्ति? प्रियता ही पुरुष को ऊँच नीच योनियों में ले जाने का कारण बनती है।


अगर यह प्रकृतिस्थ न हो? प्रकृति(शरीर) में अहंता ममता न करे? अपने स्वरूप में स्थित रहे? तो यह पुरुष सुख दुःखका भोक्ता कभी नहीं बनता? प्रत्युत सुख दुःख में सम हो जाता है? स्वस्थ हो जाता है (गीता 14। 24)

अतः यह प्रकृति में भी स्थित हो सकता है और अपने स्वरूप में भी। अन्तर इतना ही है कि प्रकृति में स्थित होने में तो यह परतन्त्र है और स्वरूप में स्थित होने में यह स्वाभाविक स्वतन्त्र है।


बन्धन में पड़ना इसका अस्वाभाविक है और मुक्त होना इसका स्वाभाविक है।


इसलिये बन्धन इसको सुहाता नहीं है और मुक्त होना इसको सुहाता है।


जहाँ प्रकृति और पुरुष -- दोनों का भेद (विवेक) है? वहाँ ही प्रकृति के साथ तादात्म्य करने का? सम्बन्ध जोड़ने का अज्ञान है।


इस अज्ञान से ही यह पुरुष स्वयं प्रकृति के साथ तादात्म्य कर लेता है।


तादात्म्य कर लेने से यह पुरुष अपने को प्रकृतिस्थ अर्थात् प्रकृति(शरीर) में स्थित मान लेता है।


प्रकृतिस्थ होनेसे शरीर में मैं और मेरापन हो जाता है। यही गुणों का सङ्ग है।


इस गुणसङ्ग से पुरुष बँध जाता है (गीता 14। 5)। गुणों के द्वारा बँध जाने से ही पुरुष की गुणों के अनुसार गति होती है।


इस त्रिगुणा प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की ही यह दिव्य विद्या है।


प्रकृति के साथ तादात्म की सह अस्तित्व अनुभूति द्वारा मनुष्य में स्वाभाविक रूपांतरण घटित होता है।


यह दिव्य परिवर्तन के अनुभव को कराना ही साधना, योगिक समाधान कोर्स पाठ्यक्रम का लक्ष्य और दिव्य उद्देश्य है।


इसमें बहुत अद्भुत, सरल, बहुउपयोगी विधि द्वारा साधक को शिक्षित प्रशिक्षित किया जाता है।


अधिक विस्तृत जानकारी मार्गदर्शन और कोर्स ज्वाइन करने के पंजीयन परामर्श हेतु संपर्क कीजिए।


डा सुरेन्द्र सिंह विरहे मनोदैहिक स्वास्थ्य आरोग्य विशेषज्ञ आध्यात्मिक योग चिकित्सक लाईफ कोच डिवाइन लाईफ सॉल्युशंस भोपाल मध्य प्रदेश भारत मोबाइल 9826042177

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